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Wednesday, July 21, 2021

अयोध्या 84 कोसी परिक्रमा मार्ग को मिला नेशनल हाईवे का दर्जा, जानिए क्या है इसके पीछे की मान्यता - Zee News Hindi

अयोध्या: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी ने बुधवार को ट्वीट कर यह जानकारी दी कि अयोध्या के '84 कोसी परिक्रमा मार्ग' को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित कर दिया गया है. उन्होंने घोषणा की कि अयोध्या में करीब 80 किमी रिंग रोड और 275.35 किमी चौरासी कोसी परिक्रमा मार्ग नेशनल हाइवे बनेगा. देश और विदेश के पर्यटक अयोध्या में 84 कोसी परिक्रमा फोरलेन मार्ग से कर सकेंगे. 

अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किए जाने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर नितिन गडकरी का आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और नेतृत्व में 'चौरासी कोसी परिक्रमा मार्ग' को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने के लिए अधिसूचना जारी होना अयोध्या के पुरातन गौरव की पुनर्स्थापना के लिए बढ़ाया गया बड़ा कदम है. यह आध्यात्मिक पर्यटन क्षेत्र को संबल प्रदान करेगा.

क्या है 84 कोसी परिक्रमा मार्ग के पीछे की मान्यता
हिन्दुओं में 84 लाख योनियों में भटकने से बचने के लिए अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा की काफी मान्यता है. यह परिक्रमा मार्ग 275.35 किलोमीटर लंबा है. इसमें अयोध्या, आंबेडकर नगर, बाराबंकी, बस्ती और गोंडा सहित पांच जिले शामिल हैं. राष्ट्रीय राजमार्ग बनने से गोंडा, रायबरेली, अयोध्या, सुलतानपुर के लोग भी इससे सीधे जुड़ जाएंगे. राजा दशरथ के समय की अयोध्या 84 कोस में फैली थी. भगवान राम से जुड़े पौराणिक स्थल इसी 84 कोसी परिक्रमा मार्ग पर स्थित हैं.

अयोध्या से 20 किमी उत्तर स्थित बस्ती जिले के मखौड़ा धाम से 84 कोसी परिक्रमा शुरू होती है. रास्ते में कुल 21 पड़ाव आते हैं. मान्यता है कि इसी स्थल पर युगों पूर्व राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति की कामना से यज्ञ किया था. यहां पर आकर बढ़ती हुई 84 कोसी परिक्रमा पुण्य सलिला सरयू के किनारे पहुंचती है और सरयू को पार करती हुई बस्ती से आंबेडकर नगर जिले में दाखिल होती है.

अयोध्या में तीन प्रकार की परिक्रमाओं की मान्यता है
कुछ पौराणिक और त्रेता युग के स्थलों को शिरोधार्य करती हुई यह परिक्रमा सरयू तट के मनोरम स्थल पर स्थित श्रृंगी ऋषि के आश्रम पर पहुंचती है. अयोध्या में तीन प्रकार की परिक्रमाएं होती हैं. इनमें 84 कोसी, 14 कोसी और पंच कोसी परिक्रमा शामिल हैं. पंचकोसी और 14 कोसी परिक्रमा क्रमशः कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी एवं नवमी के दिन होती है. चैत्र पूर्णिमा से लेकर वैशाख शुक्ल पक्ष की नवमी यानी मां सीता की जयंती के बीच 24 दिन तक तक 84 कोसी परिक्रमा चलती है. 

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