बाबरी के कैडी गांव में खस्ताहाल सड़क - फोटो : SHAMLI
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बाबरी। बाबरी गांव में अनुसूचित जाति चौपाल के पास पिछले करीब दो वर्षों से मुख्य मार्ग पर जलभराव और कूड़े का ढेर लगा हुआ है। हिरनवाड़ा, भंदोड़ा, रायपुर, सूरजपुर, गोगवान जलालपुर, कैड़ी के ग्रामीण इसी मार्ग से होते हुए बाबरी के बैंक, थाना, सब्जी मंडी जाते-आते हैं। गंदगी के ढेर व पानी के बीच से होकर जाने में काफी परेशानी होती है।
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बाबरी की आबादी करीब 13 हजार तथा ग्राम पंचायत में बाबरी के अलावा दो मजरे सूरजपुर और रघुनापुर आते हैं। गांव बाबरी में पेयजल के लिए पानी की टंकी बनी है, लेकिन ज्यादातर घरों में इसका कनेक्शन नहीं पहुंचा। मजबूरन लोग हैंडपंपों का ही पानी पीते हैं। ग्रामीण ऋषिपाल, कर्ण सिंह, राजेश पाल, राकेश, रघुबीर सिंह, डॉ. राजबीर लांबा, ओमपाल सिंह आदि का कहना है कि गांव की ग्राम प्रधान कोई भी चुना जाए, लेकिन उसे गांव की समस्याओं के समाधान की तरफ ध्यान देना चाहिए। ग्रामीण मांगेराम, जसबीर, हरपाल, सूरजपाल, महेंद्र सिंह आदि बताते हैं कि बाबरी से ही प्रधान बनने के कारण गांव के मजरों के विकास पर ध्यान नहीं दिया जाता। गांव में बरात घर का निर्माण नहीं हो सका है।
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तालाब रोड की ओर आने से कतराते हैं लोग
रायपुर गांव में तालाब की ओर निकलें तो पूरी सड़क गंदे पानी से लबालब है। ग्रामीण बताते हैं कि 20 वर्षों से यह समस्या है। तालाब की निकासी ठप है, जिससे पानी सड़क पर भरा रहता है। गांव में लगभग 1600 मतदाता हैं। ग्रामीण संजय पाल, मुकेश कुमार, आबिद, बिट्टू आदि ने बरसात के दिनों में गंदा पानी घरों में आ जाता है। नाला निर्माण हो जाए तो इस समस्या का समाधान हो जाएगा।
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दस वर्षों से अधूरा पड़ा खड़ंजा निर्माण
करीब 12 हजार की आबादी वाले गांव कैड़ी में केडीके इंटर कालेज के पास बस्ती में खड़ंजे का निर्माण दस वर्ष बाद भी नहीं हो सका। कच्चा मार्ग होने से यहां कीचड़ फैला रहता है। यह गांव कृष्णा नदी किनारे है। नदी में बहने वाले केमिकल युक्त पानी का प्रभाव गांव के हैंडपंपों के पानी में है। गांव में पेयजल टंकी है, लेकिन इसका पानी सभी घरों तक नहीं पहुंचता।
बाबरी की आबादी करीब 13 हजार तथा ग्राम पंचायत में बाबरी के अलावा दो मजरे सूरजपुर और रघुनापुर आते हैं। गांव बाबरी में पेयजल के लिए पानी की टंकी बनी है, लेकिन ज्यादातर घरों में इसका कनेक्शन नहीं पहुंचा। मजबूरन लोग हैंडपंपों का ही पानी पीते हैं। ग्रामीण ऋषिपाल, कर्ण सिंह, राजेश पाल, राकेश, रघुबीर सिंह, डॉ. राजबीर लांबा, ओमपाल सिंह आदि का कहना है कि गांव की ग्राम प्रधान कोई भी चुना जाए, लेकिन उसे गांव की समस्याओं के समाधान की तरफ ध्यान देना चाहिए। ग्रामीण मांगेराम, जसबीर, हरपाल, सूरजपाल, महेंद्र सिंह आदि बताते हैं कि बाबरी से ही प्रधान बनने के कारण गांव के मजरों के विकास पर ध्यान नहीं दिया जाता। गांव में बरात घर का निर्माण नहीं हो सका है।
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तालाब रोड की ओर आने से कतराते हैं लोग
रायपुर गांव में तालाब की ओर निकलें तो पूरी सड़क गंदे पानी से लबालब है। ग्रामीण बताते हैं कि 20 वर्षों से यह समस्या है। तालाब की निकासी ठप है, जिससे पानी सड़क पर भरा रहता है। गांव में लगभग 1600 मतदाता हैं। ग्रामीण संजय पाल, मुकेश कुमार, आबिद, बिट्टू आदि ने बरसात के दिनों में गंदा पानी घरों में आ जाता है। नाला निर्माण हो जाए तो इस समस्या का समाधान हो जाएगा।
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दस वर्षों से अधूरा पड़ा खड़ंजा निर्माण
करीब 12 हजार की आबादी वाले गांव कैड़ी में केडीके इंटर कालेज के पास बस्ती में खड़ंजे का निर्माण दस वर्ष बाद भी नहीं हो सका। कच्चा मार्ग होने से यहां कीचड़ फैला रहता है। यह गांव कृष्णा नदी किनारे है। नदी में बहने वाले केमिकल युक्त पानी का प्रभाव गांव के हैंडपंपों के पानी में है। गांव में पेयजल टंकी है, लेकिन इसका पानी सभी घरों तक नहीं पहुंचता।
बाबरी रायपुर गांव में सड़क पर भरा पानी।- फोटो : SHAMLI
मुख्य मार्ग पर जलभराव और गंदगी का अंबार - अमर उजाला
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