डाला। हिंदुस्तान संवाद
झारखंड सीमा से जनपद को जोड़ने वाला तेलगुड़वा कोन मार्ग इन दिनों गढ्ढे में तब्दील है। 2017 में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद क्षेत्रीय लोगों को मार्ग के बनने की उम्मीद जग गई थी। सरकार के कार्यकाल को पांच साल बीतने को है, लेकिन आजतक सड़क निर्माण नहीं हो पाया है।
जनपद मुख्यालय से 37 किमी दूर वाराणसी शक्तिनगर मुख्य मार्ग पर से सटा तेलगुड़वा से कोन मार्ग 31 किमी सड़क पूरी तरह खराब है। बता दें कि यह सड़क मार्ग कई मायनों में बहुत महत्वपूर्ण है, जो झारखंड सीमा से होते हुए बिहार को जाती है। 2019 में एनएच-19 पर कर्मनाशा के पास पुलिया टूट जाने के बाद तेलगुड़वा कोन मार्ग ही बंगाल व बिहार से दिल्ली के मार्ग का आवागमन का एक सहारा था। जनपद में नक्सल गतिविधियों की दृष्टि से भी यह सड़क बहुत ही महत्वपूर्ण है। फिर भी करोड़ों रुपये का राजस्व देने वाला तेलगुड़वा-कोन मार्ग अपनी बदहाली पर रो रहा है। वर्ष 2018 में उक्त मार्ग से यात्रा करने के बाद उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने खराब सड़क की मरम्मत के लिए दो करोड़ रुपये का बजट दिया था। बजट मिलते ही 13 अप्रैल 2018 को सदर विघायक ने नारियल तोड़ कर मार्ग को गढ्ढा मुक्त बनाने के लिए उद्घाटन किया तो लाखों मतदाताओं को उम्मीद की किरण दिखने लगी, परन्तु वहां भी निराशा ही हाथ लगी। कोटा गांव के निवासी तो इस मार्ग को छोड़ डाला चूड़ी गली होते हुए अम्माटोला मार्ग से आना-जाना बेहतर समझते हैं। सरकार के पांच वर्ष बीतने को है अब तक एक बेहतर सड़क का निर्माण नहीं हो पाया। स्थानीय आज भी एक उम्मीद लिए हुए हैं कि चुनावी बिगुल बजने से पूर्व यह सड़क बन जाएगी ।
पांच साल बाद भी गड्ढामुक्त ना हो सका तेलगुड़वा-कोन मार्ग - Hindustan हिंदी
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