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Wednesday, October 20, 2021

चिलरखाल-लालढांग मार्ग पर आवाजाही शुरू - अमर उजाला

आज: बारिश थमने के बाद वन विभाग ने तैयार किया वैकल्पिक मार्ग, वाहनों की आवाजाही शुरू। - फोटो : KOTDWAR

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भारी बारिश के कारण दो दिन तक बाधित रहे चिलरखाल-लालढांग मार्ग पर सिगड्डीसोत नदी में वैकल्पिक मार्ग बनाकर वाहनों की आवाजाही शुरू कर दी गई है। इससे कोटद्वार भाबर के साथ ही लालढांग क्षेत्र के लोगों ने राहत की सांस ली। मार्ग खुलने से लोग इस रास्ते हरिद्वार और देहरादून आवाजाही कर रहे हैं। रूट पर जीएमओयू की दैनिक सेवाएं भी शुरू कर दी गई हैं।
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राज्य की सीमा के भीतर से कोटद्वार को हरिद्वार से जोड़ने का एकमात्र लालढांग मार्ग भारी बारिश के कारण 18 अक्तूबर को सिगड्डीसोत और मैहलीसोत बरसाती नदियों के कारण बाधित हो गया था। नदी के उफनाने से जीएमओयू की बसें भी दूसरी ओर फंस गई थीं, जिन्हें बाद में यूपी के नजीबाबाद होते हुए कोटद्वार लाया गया। सिगड्डीसोत और मैहलीसोत बरसाती नदियों में वन विभाग की ओर से पुल बनाए जा रहे हैं, लेकिन जब तक ये पुल बनकर तैयार होते हैं, तब तक वाहनों को इन नदियों में उतरकर आवाजाही करनी पड़ेगी। जीएमओयू के अध्यक्ष जीत सिंह पटवाल ने बताया कि दो दिन सड़क बंद होने के कारण लालढांग होते हुए बस सेवाएं बंद रहीं, जिसके कारण वाहनों को यूपी होते हुए रवाना करना पड़ा। लालढांग के रास्ते हरिद्वार की दूरी 30 किमी कम पड़ती है, जिसमें यात्रियों का समय और किराया भी बचता है।
वाहनों की रफ्तार में रोड़ा बनता है गदेरा
राज्य सरकार इस बार वन विभाग की राज्य योजना के तहत चिलरखाल-लालढांग मार्ग का निर्माण करवा रही है, लेकिन इस सड़क पर पड़ने वाली दोनों बरसाती नदियां सिगड्डीसोत और मैहलीसोत गदेरा बरसात में वाहनों की रफ्तार में रोड़ा अटकाते हैं। 18 अक्तूबर से पहले बीते 19 अगस्त को भारी बारिश में सिगड्डीसोत में सड़क का करीब सौ मीटर का पैच बह गया था, जिससे आवाजाही बाधित रही। लोगों की दिक्कत को देखते हुए वन विभाग ने बारिश थमते ही नदी में वाहनों के निकलने के लिए वैकल्पिक मार्ग बनाया। लालढांग का अतिरिक्त कार्यभार देख रहे कोटद्वार के रेंज अधिकारी प्रदीप उनियाल ने बताया कि इस बार भी बारिश थमते ही दोनों नदियों में वैकल्पिक मार्ग तैयार करवाकर वाहनों की आवाजाही शुरू करवा दी गई। जीएमओयू की इस मार्ग पर हर दिन 20 से अधिक बस सेवाएं चल रही हैं। यह मार्ग क्षेत्र की लाइफ लाइन है, जिसका उपयोग भाबर ही नहीं लालढांग चमरिया समेत हरिद्वार जिले के लोग रोजमर्रा के लिए करते आए हैं। गंगाभोगपुर कौड़िया और डाडामंडल के लोग भी कोटद्वार आने जाने के लिए इस मार्ग का उपयोग करते हैं।

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