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Friday, October 15, 2021

आकाश मार्ग से पहाड़ सहित संजीवनी बूटी ले आए हनुमान - दैनिक जागरण

संवाद सहयोगी, बसोहली : कस्बे में वीरवार देर रात रामलीला में मंचित दृश्यों में लक्ष्मण का मूर्छित होना, हनुमान द्वारा संजीवनी बूटी आकाश मार्ग से लाना दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। इसके अलावा हनुमान द्वारा लंका के जलाने पर सारा दोष रावण के भाई विभीषण पर मड़ा जाना दृश्य मंचित किया गया। इस दृश्य में राज दरबार में विभीषण को शर्मिंदा होना पड़ा और सभी दरबारियों ने रावण से उसे बाहर निकालने को कहा। रावण दरबार से निकालने पर विभीषण राम के चरण में पहुंच गए। जहां पर हनुमान ने उनको प्रभु राम से मिलाया। इसके बाद समुंद्र के पास राम ने पूजा अर्चना की और रामेश्वरम धाम की स्थापना की।

प्रभु राम ने बताया कि जो भी व्यक्ति इस शिवलिंग को गंगा जल से नहलाएगा उसे मेरे परम धाम प्राप्त होगा। समुंद्र की पूजा के बाद सेतु का निर्माण नल नील ने किया। सेतु बनने के बाद राम की सेना लंका में प्रवेश कर गई। इसके बाद राम की ओर से संधि करने के लिए बाली पुत्र अंगद को लंका में रावण दरबार में भेजा गया। जहां पर अंगद ने रावण को समझाने का प्रयास किया मगर चापलूस दरबारियों के कारण अंगद की बात को किसी ने ध्यान से नहीं सुना। इसके बाद अंगद ने कहा कि अगर मेरा पैर कोई भी धरती से उखाड़ देगा तो प्रभु राम आज ही सेना लेकर वापस चले जाएंगे। सभी दरबारियों ने जोर लगाया मगर पैर नहीं उखाड़ पाए। अंगद वापस राम के पास आ गए और सारा वृतांत सुनाया। लंका में रावण ने अपने सेनापतियों को हर प्रवेश द्वार पर सेना के साथ तैनात कर दिया। लक्षमण और मेघनाथ के बीच युद्ध हुआ। युद्ध के दौरान मेघनाथ ने शक्ति का प्रयोग करते हुए लक्ष्मण को मूर्छित कर दिया। हनुमान मूर्छित लक्ष्मण को उनके पास आए तो सारी सेना परेशान हो गई। विभीषण के कहने पर सुषेन वैद्य को हनुमान चारपाई सहित लेकर आ गए। सुषेन वैद्य ने बताया कि इन को गहरा घाव लगा है और इनको बचाने का एक ही उपाय है। मंदराचल पर्वत से संजीवनी बूटी अगर सूर्य उदय होने से पहले लाई जाए तो यह बच सकते हैं। राम ने हनुमान को निर्देश दिए कि जल्द संजीवनी बूटी को लेकर आओ। हनुमान जब मंदराचल पर्वत पर पहुंचे तो उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि कौन सी बूटी लेनी है और कौन सी नहीं। इस पर उन्होंने पूरा पहाड़ ही उठा लिया और लंका के लिए रवाना हो गए। रास्ते में भरत ने बाण मारकर उन्हें घायल कर दिया। जब उन्हें पता चला कि यह राम सेवक हनुमान हैं और लक्ष्मण के उपचार के लिए संजीवनी बूटी लेकर जा रहे हैं तो उन्होंने हनुमान को छोड़ा और बाण पर सवार कर लंका की ओर भेजा।

पंजाब व हिमाचल प्रदेश से आए थे दर्शक

बसोहली रामलीला के इस दृश्य को देखने के लिए पंजाब, हिमाचल से लोग आए थे। इस दृश्य को बनाने में एक लोहे की रस्सी का प्रयोग किया गया था, जो जो लगभग 5 फीट ऊंचाई पर बंधी थी। इस रस्सी के सहारे हनुमान रामलीला मैदान में एक हाथ में पहाड़ और दूसरे हाथ से रस्सी से आगे की ओर बढ़ रहे थे। संजीवनी बूटी लाने के दूश्य के दौरान जब हनुमान आकाश मार्ग में थे तो सारे दर्शक जय श्री राम और बजरंग बली के नारे लगा रहे थे। हनुमान द्वारा संजीवनी लाई गई और सुषेन बेद्य ने उसे लक्षमण के जख्मों पर लगा दिए, उसके बाद लक्षमण ठीक हो गए और मेघनाथ के साथ युद्ध के दौरान मेधनाथ का वध कर दिया। युद्ध में कुंभकर्ण भी आया और उसे भी मार दिया गया।

तारिक जावेद निभाते हैं सुषेन वैद्य की भूमिका

बसोहली रामलीला में हिन्दू समुदाय ही नहीं बल्कि मुस्लिम समुदाय के लोग भी कई किरदार निभाते हैं। तारिक जावेद साउंड सिस्टम पर शिव कुमार के साथ रहते हैं। किसने बोलना है उस तक माइक पहुंचाना और उसे चलाने की जानकारी देते हैं। देर रात के मंचन में वह सुषेन वैद्य का रोल निभा रहे थे। पिछले 14 साल से लगातार इस भूमिका में लोगों को हंसाते हैं और लक्ष्मण को ठीक करते हैं।

डीडीसी अध्यक्ष को किया सम्मानित

रामलीला क्लब बसोहली ने रामलीला मंचन देखने आए डीडीसी अध्यक्ष महान सिंह को सम्मानित किया। इस अवसर पर प्रधान चंद्रशेखर बसोत्रा, उप प्रधान वेद फंदा, सरपरस्त सुदर्शन चौहान एवं वरिष्ठ कलाकरों की मौजूदगी में रामनवमी देकर सम्मानित किया गया।

Edited By: Jagran

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