चौसार-श्रीमऊ मार्ग भी बाढ़ का पानी उतरने के बाद देख रहा मरम्मत की राह। संवाद - फोटो : HARDOI
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हरपालपुर। अक्टूबर के दूसरे पखवारे में गंगा और इसकी सहायक नदियों में आई बाढ़ का पानी भले ही उतर गया हो, लेकिन बाढ़ से मिले जख्म अब भी हरे हैं। कई संपर्क मार्ग बाढ़ के बाद कट गए हैं, जो हादसों का सबब बन रहे हैं। यह मार्ग मरम्मत की राह देख रहे हैं। शासन ने 30 नवंबर तक सड़कों को गड्ढामुक्त करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन काम पूरा नहीं हो पा रहा है। ऐसे में इन मार्गों की मरम्मत तो और कठिन है।
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पिछले कुछ वर्ष में कटरी के इलाकों में बिछाया गया सड़कों का जाल बाढ़ ने तहस नहस कर डाला है। बाढ़ के कारण कटरी के क्षेत्र की अधिकांश सड़कें कट गई हैं।
इसके कारण अधिकांश मार्गों में हुए गड्ढे राहगीरों के लिए न सिर्फ मुसीबत का सबब हैं बल्कि आए दिन दुर्घटना की वजह भी बन रहे हैं। कटरी के इलाके में गंगा के साथ कई अन्य नदियां भी बहती हैं। अक्टूबर के दूसरे पखवारे में पहाड़ों पर हुई बारिश और उसके बाद बांधों से छोड़े गए पानी के कारण नदियां उफना गईं। 22 से 28 अक्टूबर तक भीषण बाढ़ रही और जब पानी उतरना शुरू हुुआ, तो भी मार्गों का कटना शुरू हो गया।
कटरी के लोग जाएं तो कहां से जाएं
कटरी में चौसार-श्रीमऊ मार्ग आवागमन की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह मार्ग करनपुर के पास दो जगह कटा है। इसके कारण आवागमन में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं इसी इलाके में चंद्रमपुर मार्ग भी कटा हुआ है। सलेमपुर-कड़हर मार्ग भी बाढ़ में कट चुका है। दहेलिया-पतारपुरवा सड़क भी कई जगह से कटी है। इसके कारण कटरी के लोगों को आवागमन में बहुत परेशानी हो रही है।
खद्दीपुर बेहथर मार्ग का सर्वे हुआ पर काम नहीं
कटरी के इलाके में खद्दीपुर बेहथर मार्ग बेहद बुरी तरह से कट गया था। मार्ग की एक पुलिया भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। इसके कारण यहां एक पखवारे तक आवागमन बंद रहा। पानी उतर गया है, लेकिन अब तक यहां मरम्मत नहीं हो पाई है। मौके पर जो स्थिति है उसमें यहां नए सिरे से पुलिया का निर्माण कराने की आवश्यकता है। लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं ने सर्वे तो कर लिया है, लेकिन मरम्मत की दिशा में अभी कोई कार्य नहीं हुआ।
मनरेगा से कार्य भी संभव नहीं
न सिर्फ लोक निर्माण विभाग के मार्ग, बल्कि क्षेत्र पंचायतों और ग्राम पंचायतों से मनरेगा के तहत बनवाए गए मार्ग भी आठ दिन की बाढ़ में क्षतिग्रस्त हुए हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार हरपालपुर विकास खंड की 43 ग्राम पंचायतों में ग्राम व क्षेत्र पंचायत से बने 150 से अधिक मार्ग बाढ़ में जगह-जगह कट गए हैं। मनरेगा के नियमों के मुताबिक कराए जा चुके कार्य पर अगले तीन वर्ष तक कोई कार्य कराना अनुमन्य नहीं है। ऐसे में मार्गों की मरम्मत का मामला अटका है। हरपालपुर के अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी अतुल राय ने बताया कि जिला स्तरीय अधिकारियों की अनुमति के लिए पत्रावली तैयार कराई गई है।
समय के साथ बजट की दरकार
यूं तो मार्गों को गड्ढा मुक्त करने का कार्य 15 नवंबर तक पूरा करना था, लेकिन ऐन मौके पर 12 नवंबर को यह मियाद बढ़ा दी गई। अब तीस नवंबर तक जनपद के मार्गों को गड्ढा मुक्त कराने के निर्देश उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने दिए हैं। बावजूद इसके कटरी के इलाके में तीस नवंबर तक भी मार्गों का गड्ढा मुक्त होना दूर की कौड़ी है। वजह यह है कि जिस तरह से बाढ़ में अधिकांश मार्ग कटे हैं, उनमें स्थायी मरम्मत की जरूरत है। इसके लिए न सिर्फ समय लगेगा, बल्कि बजट की भी व्यवस्था करनी होगी।
पिछले कुछ वर्ष में कटरी के इलाकों में बिछाया गया सड़कों का जाल बाढ़ ने तहस नहस कर डाला है। बाढ़ के कारण कटरी के क्षेत्र की अधिकांश सड़कें कट गई हैं।
इसके कारण अधिकांश मार्गों में हुए गड्ढे राहगीरों के लिए न सिर्फ मुसीबत का सबब हैं बल्कि आए दिन दुर्घटना की वजह भी बन रहे हैं। कटरी के इलाके में गंगा के साथ कई अन्य नदियां भी बहती हैं। अक्टूबर के दूसरे पखवारे में पहाड़ों पर हुई बारिश और उसके बाद बांधों से छोड़े गए पानी के कारण नदियां उफना गईं। 22 से 28 अक्टूबर तक भीषण बाढ़ रही और जब पानी उतरना शुरू हुुआ, तो भी मार्गों का कटना शुरू हो गया।
कटरी के लोग जाएं तो कहां से जाएं
कटरी में चौसार-श्रीमऊ मार्ग आवागमन की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह मार्ग करनपुर के पास दो जगह कटा है। इसके कारण आवागमन में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं इसी इलाके में चंद्रमपुर मार्ग भी कटा हुआ है। सलेमपुर-कड़हर मार्ग भी बाढ़ में कट चुका है। दहेलिया-पतारपुरवा सड़क भी कई जगह से कटी है। इसके कारण कटरी के लोगों को आवागमन में बहुत परेशानी हो रही है।
खद्दीपुर बेहथर मार्ग का सर्वे हुआ पर काम नहीं
कटरी के इलाके में खद्दीपुर बेहथर मार्ग बेहद बुरी तरह से कट गया था। मार्ग की एक पुलिया भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। इसके कारण यहां एक पखवारे तक आवागमन बंद रहा। पानी उतर गया है, लेकिन अब तक यहां मरम्मत नहीं हो पाई है। मौके पर जो स्थिति है उसमें यहां नए सिरे से पुलिया का निर्माण कराने की आवश्यकता है। लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं ने सर्वे तो कर लिया है, लेकिन मरम्मत की दिशा में अभी कोई कार्य नहीं हुआ।
मनरेगा से कार्य भी संभव नहीं
न सिर्फ लोक निर्माण विभाग के मार्ग, बल्कि क्षेत्र पंचायतों और ग्राम पंचायतों से मनरेगा के तहत बनवाए गए मार्ग भी आठ दिन की बाढ़ में क्षतिग्रस्त हुए हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार हरपालपुर विकास खंड की 43 ग्राम पंचायतों में ग्राम व क्षेत्र पंचायत से बने 150 से अधिक मार्ग बाढ़ में जगह-जगह कट गए हैं। मनरेगा के नियमों के मुताबिक कराए जा चुके कार्य पर अगले तीन वर्ष तक कोई कार्य कराना अनुमन्य नहीं है। ऐसे में मार्गों की मरम्मत का मामला अटका है। हरपालपुर के अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी अतुल राय ने बताया कि जिला स्तरीय अधिकारियों की अनुमति के लिए पत्रावली तैयार कराई गई है।
समय के साथ बजट की दरकार
यूं तो मार्गों को गड्ढा मुक्त करने का कार्य 15 नवंबर तक पूरा करना था, लेकिन ऐन मौके पर 12 नवंबर को यह मियाद बढ़ा दी गई। अब तीस नवंबर तक जनपद के मार्गों को गड्ढा मुक्त कराने के निर्देश उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने दिए हैं। बावजूद इसके कटरी के इलाके में तीस नवंबर तक भी मार्गों का गड्ढा मुक्त होना दूर की कौड़ी है। वजह यह है कि जिस तरह से बाढ़ में अधिकांश मार्ग कटे हैं, उनमें स्थायी मरम्मत की जरूरत है। इसके लिए न सिर्फ समय लगेगा, बल्कि बजट की भी व्यवस्था करनी होगी।
दर्द से कराह रहे बाढ़ में जख्मी हुए मार्ग - अमर उजाला
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