स्टोरी हाइलाइट्स
- श्री विश्वनाथ धाम की परिक्रमा होगी आसान
- धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यूपी सरकार की पहल
- 70 किलोमीटर का है मुख्य परिक्रमा मार्ग
श्री काशी विश्वनाथ धाम (Shri Kashi Vishwanath Dham) जल्द ही अपने नए रंग रूप में नजर आने वाला है. 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM MODI) काशी कॉरिडोर का उद्घाटन करने वाले हैं. काशी कॉरिडोर (Kashi Corridor) के निर्माण के साथ ही काशी और आसपास के धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों का पुनर्निर्माण करने की तैयारी भी शुरू हो गई है. विश्वनाथ पंचकोसी परिक्रमा मार्ग को नए सिरे से तैयार करने की क़वायद जारी है. योगी सरकार की कोशिश है कि इसके ज़रिए धार्मिक पर्यटन को बल मिले.
क्या है योजना
विश्वनाथ पंचकोशी (पंचकोशी) परिक्रमा मार्ग 70 किलोमीटर का है. खास बात ये है कि ये ज्योतिर्लिंगाकार है. योगी सरकार ने काशी कॉरिडोर के निर्माण के साथ ही पूरे परिक्रमा मार्ग को व्यवस्थित करने और नए रूप में लाने की तैयारी शुरू हो गई है. इस योजना का DPR तैयार हो गया है. स्वीकृति मिलते ही काम शुरू हो जाएगा. इस योजना के तहत पूरे परिक्रमा मार्ग कायाकल्प किया जाएगा. मार्ग में पड़ने वाले 108 मुख्य मंदिरों और कुंडों और जलाशयों का जीर्णोद्धार किया जाएगा. खास बात ये है कि यात्रा मार्ग में 40 से ज़्यादा यात्री निवास और धर्मशाला हैं, उनको भी सुविधाओं की दृष्टि से रेनोवेट किया जाएगा.
परिक्रमा मार्ग के लिए योजना बनाई गई है कि इन मंदिरों में जो मंदिर पुराने हैं, उनके पौराणिक गौरव को भी सामने लाने की कोशिश होगी. यहां और सुविधाएं विकसित करने की भी योजना बनाई गई है, जिससे रोज़गार की संभावनाएं बढ़ें और स्थानीय पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिले. दरअसल ये पूरी योजना धार्मिक पर्यटन विकसित करने को ध्यान में रखकर तैयार की गई है.
योगी सरकार ने इससे पहले अयोध्या में इस तरह का कार्य शुरू किया है. इसमें मंदिर निर्माण के साथ ही पूरे शहर को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार विकसित करने पर काम शुरू किया था, जिसमें परिक्रमा मार्ग के अलावा ख़ास तौर पर पर्यटकों के लिए सुविधाओं को बढ़ाने और रोज़गार के अवसर देने की योजना पर काम चल रहा है. काशी विश्वनाथ धाम के नए रूप में आने के बाद यहां श्रद्धालुओं और लोगों की संख्या बढ़ेगी. उसके लिए बेहतर सुविधाएं और पूरे परिक्रमा मार्ग का विकास जरूरी है.
पंचकोशी परिक्रमा की यह है मान्यता
बाबा विश्वनाथ के मंदिर का पंचकोशी ( पंचकोसी) परिक्रमा मार्ग 70 किलोमीटर लंबा है. दूरी भले ही इतनी हो, पर आम तौर पर पांच दिन में इसे किया जाता है. इसकी काफी मान्यता है. कहा जाता है कि ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति के लिए राम ने भी पंचकोशी परिक्रमा की थी. पांडवों ने भी अज्ञातवास में परिक्रमा की थी. आम तौर पर काशी में पंचकोशी परिक्रमा एक दिन, 3 दिन और 5 दिन की होती है.
पांच दिन की परिक्रमा में हर दिन एक पड़ाव पार कर रात्रि विश्राम होता है. काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफ़ेसर राम नारायण द्विवेदी के अनुसार, कंदवा, भीमचंडी, रामेश्वर, पंच पांडव और कपिलधारा में पांच दिन की यात्रा में एक-एक रात्रि विश्राम का विधान है. इसके अलावा इस धार्मिक मार्ग पर मंदिर, कुंड, तालाब और यात्री निवास स्थल हैं. पंचकोशी परिक्रमा की ख़ास बात यह है कि इस यात्रा में सभी धार्मिक स्थल दाहिने तरफ स्थित हैं.
परिक्रमा मार्ग पर होगा यात्री सुविधाओं का विकास
सरकार ने पंचकोशी मार्ग पर कई तरह के आयोजनों की योजना बनाई है, जिससे स्थानीय लोगों को रोज़गार और नए व्यवसाय के अवसर मिलेंगे. इससे वेलनेस सेंटर, रिसार्ट, होटल के अलावा पर्यटन संबंधित व्यवसाय को गति मिलेगी. परिक्रमा पथ में पड़ने वाले कुंडों को भी सजाया संवारा जाएगा. इनमें से कई कुंड ऐसे हैं, जिनका ऐतिहासिक महत्व है.
कुछ ऐसे स्थान हैं, जहां धार्मिक आयोजन और कथाएं होती हैं. उनको लैंडस्केपिंग के माध्यम से खूबसूरत बनाया जाएगा. श्री काशी विश्वनाथ धाम के पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व पर काम करने वाले काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफ़ेसर राम नारायण द्विवेदी के अनुसार, पंच कोसी परिक्रमा मार्ग पर पड़ने वाले धार्मिक स्थलों के बारे में पूरी जानकारी भी वहां और रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड जैसी जगहों पर लिखी जाएगी, जिससे देश के अलावा विदेशी पर्यटक और पहली बार परिक्रमा करने वाले भी इन स्थलों के बारे में जान सकेंगे.
योगी सरकार तीन चरणों में इसे विकसित करने का कार्य करेगी. पहला चरण 9.92 करोड़, दूसरा चरण 23.86 करोड़ और तीसरा चरण 22.15 करोड़ में पूरा करने का लक्ष्य है.
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