सिद्धार्थ विवि में आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित शिक्षक। संवाद न्यूज एजेंसी - फोटो : SIDDHARTHNAGAR
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’नई शिक्षा नीति प्रगति का मार्ग प्रशस्त करेगी’
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सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय चेतना और समग्रता का बोध विषयक कार्यक्रम में बोले पूर्व कुलपति
संवाद न्यूज एजेंसी
कपिलवस्तु। राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय मूल्यों और अपेक्षाओं के अनुकूल भारत के भविष्य का मार्ग निर्धारित करेगी। शिक्षा की समग्रता के लिए चिंतन की समग्रता आवश्यक है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति वास्तव में समग्रता की सोच लेकर निर्मित होने वाले समाज को बनाने में सक्षम होगी। ये विचार रुहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली के पूर्व कुलपति प्रोफेसर अनिल शुक्ल ने व्यक्त किए। वह सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में बृहस्पतिवार को आयोजित पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के पांचवें दिन राष्ट्रीय चेतना और समग्रता का बोध विषयक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि सामाजिक, सांस्कृतिक आर्थिक और तकनीकी क्षमता का विकास करके उन्हें नैतिक मूल्य के साथ जोड़ते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति समाज का पथ प्रदर्शक साबित होगी। कहा कि देश, चेतना और भाव द्वारा निर्मित होते हैं। पाश्चात्य शिक्षा ने हमें सोचने समझने और चिंतन करने की उसी प्रवृत्ति से विमुख कर दिया। जिसका दुष्परिणाम आज तक भारतीय समाज के ऊपर दिखाई पड़ता है। आजादी के 70 वर्षों बाद भी हमारी शिक्षा उसी अंग्रेजी शिक्षा के दुष्प्रभाव से ग्रसित थी, जिसने हमें अपनी मूल भावनाओं से दूर रहने के लिए निरंतर प्रेरित किया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 हमें अपनी संस्कृति से जोड़कर प्रगति का मार्ग प्रशस्त करेगी। भारत की चिंतन प्रणाली में सामूहिकता का भाव सर्वथा से निहित रहा है। शिक्षा राष्ट्र और समाज केंद्रित होनी चाहिए। नई नीति में समग्र ज्ञान का भंडार समाहित है। शिक्षक की भूमिका भी इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है। उसे ज्ञान प्राप्त कराने का पर्यावरण निर्मित करने वाला होना चाहिए। स्वागत नोडल अधिकारी प्रोफेसर हरीश शर्मा ने किया। इससे पूर्व प्रथम सत्र में प्रतिभागियों की ओर से शोधपत्रों का वाचन किया गया।
सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय चेतना और समग्रता का बोध विषयक कार्यक्रम में बोले पूर्व कुलपति
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कपिलवस्तु। राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय मूल्यों और अपेक्षाओं के अनुकूल भारत के भविष्य का मार्ग निर्धारित करेगी। शिक्षा की समग्रता के लिए चिंतन की समग्रता आवश्यक है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति वास्तव में समग्रता की सोच लेकर निर्मित होने वाले समाज को बनाने में सक्षम होगी। ये विचार रुहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली के पूर्व कुलपति प्रोफेसर अनिल शुक्ल ने व्यक्त किए। वह सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में बृहस्पतिवार को आयोजित पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के पांचवें दिन राष्ट्रीय चेतना और समग्रता का बोध विषयक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि सामाजिक, सांस्कृतिक आर्थिक और तकनीकी क्षमता का विकास करके उन्हें नैतिक मूल्य के साथ जोड़ते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति समाज का पथ प्रदर्शक साबित होगी। कहा कि देश, चेतना और भाव द्वारा निर्मित होते हैं। पाश्चात्य शिक्षा ने हमें सोचने समझने और चिंतन करने की उसी प्रवृत्ति से विमुख कर दिया। जिसका दुष्परिणाम आज तक भारतीय समाज के ऊपर दिखाई पड़ता है। आजादी के 70 वर्षों बाद भी हमारी शिक्षा उसी अंग्रेजी शिक्षा के दुष्प्रभाव से ग्रसित थी, जिसने हमें अपनी मूल भावनाओं से दूर रहने के लिए निरंतर प्रेरित किया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 हमें अपनी संस्कृति से जोड़कर प्रगति का मार्ग प्रशस्त करेगी। भारत की चिंतन प्रणाली में सामूहिकता का भाव सर्वथा से निहित रहा है। शिक्षा राष्ट्र और समाज केंद्रित होनी चाहिए। नई नीति में समग्र ज्ञान का भंडार समाहित है। शिक्षक की भूमिका भी इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है। उसे ज्ञान प्राप्त कराने का पर्यावरण निर्मित करने वाला होना चाहिए। स्वागत नोडल अधिकारी प्रोफेसर हरीश शर्मा ने किया। इससे पूर्व प्रथम सत्र में प्रतिभागियों की ओर से शोधपत्रों का वाचन किया गया।
’नई शिक्षा नीति प्रगति का मार्ग प्रशस्त करेगी’ - अमर उजाला
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