न्यूज़ डेस्क, अमर उजाला, देहरादून Published by: Nirmala Suyal Nirmala Suyal Updated Sat, 12 Jun 2021 01:14 PM IST
सार
गढ़वाल और कुमाऊं मंडलों को राज्य के भीतर ही सीधे आपस में जोड़ने वाली लैंसडोन वन प्रभाग के अंतर्गत कंडी रोड (रामनगर-कालागढ़-चिलरखाल-लालढांग) के चिल्लरखाल-लालढांग हिस्से के निर्माण को लेकर राज्य और केंद्र सरकार के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही थी।
हरक सिंह रावत - फोटो : अमर उजाला फाइल फोटो
विस्तार
गढ़वाल और कुमाऊं के बीच उत्तर प्रदेश की सड़क की बाध्यता अब खत्म होने जा रही है। उत्तराखंड के बहुचर्चित कंडी मार्ग की सभी रुकावटें दूर हो गई हैं। आखिरकार राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड(एनबीडब्ल्यूएल) ने उत्तराखंड के प्रस्ताव को पास कर दिया। जल्द ही उत्तराखंड सरकार की शर्तों के मुताबिक कंडी मार्ग का निर्माण शुरू होगा।
विज्ञापन
गढ़वाल और कुमाऊं मंडलों को राज्य के भीतर ही सीधे आपस में जोड़ने वाली लैंसडोन वन प्रभाग के अंतर्गत कंडी रोड (रामनगर-कालागढ़-चिलरखाल-लालढांग) के चिल्लरखाल-लालढांग हिस्से के निर्माण को लेकर राज्य और केंद्र सरकार के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही थी। पूर्व में राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड प्रस्ताव को अस्वीकार कर चुका था लेकिन राज्य वन्यजीव बोर्ड ने दोबारा प्रस्ताव पास कर राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड को भेजा था।
शुक्रवार को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर की अध्यक्षता में हुई, जिसमें राज्य के वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत भी शामिल हुए। उन्होंने कंडी मार्ग के प्रस्ताव को बोर्ड में रखा, जिसे बोर्ड ने पास कर दिया। इस बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट के लिए राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी और मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर से बात की।
कहां फंसा था पेच
दरअसल, कंडी मार्ग को राष्ट्रीय बोर्ड ने 56वीं बैठक में अनुमति दी थी लेकिन इसमें दो शर्तें रखी थी। एक शर्त यह थी कि 710 मीटर की एलिवेटेड रोड होगी, जिसकी ऊंचाई आठ मीटर होनी चाहिए। इस पर राज्य सरकार सहमत नहीं थी। राज्य सरकार का तर्क था कि चूंकि यह राष्ट्रीय राजमार्ग नहीं है तो यहां एनएच की गाइडलाइंस क्यों थोपी जा रही हैं। लिहाजा, राज्य सरकार लगातार इस बात पर जोर दे रही थी कि ऊंचाई छह मीटर हो और एलिवेटेड रोड की लंबाई 470 मीटर ही हो। शुक्रवार को आखिरकार इस प्रस्ताव को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड ने पास कर दिया। अब कंडी मार्ग के रास्ते की सभी रुकावटें दूर हो गईं।
यूपी जाने के झंझट से मिलेगी निजात
कोरोनाकाल में इस सड़क का महत्व अधिक बढ़ गया है। यह मार्ग पौड़ी जिले के कोटद्वार समत अन्य स्थानों से मरीजों को चिकित्सा सुविधा के लिए ऋषिकेश व देहरादून आने-जाने के लिए सबसे सुगम है। इसके निर्माण से जहां उत्तर प्रदेश से होकर आने-जाने के झंझट से निजात मिलेगी, वहीं धन व समय की बचत भी होगी।
200 साल पुराना इतिहास है कंडी मार्ग का
उत्तराखंड में कंडी मार्ग का इतिहास करीब 200 साल पुराना है। उत्तर प्रदेश के वक्त में भी इसी मार्ग से हिल अलाउंस के लिए कर्मचारियों की पहाड़ और मैदान की श्रेणी का विभाजन होता था। असल में टनकपुर ब्रह्मदेव मंडी से कोटद्वार तक जाने वाला मार्ग लगभग दो सौ साल पुराना है। ब्रिटिस सरकार इसे सब माउंटेन सड़क के नाम से पुकारती थी। उत्तरप्रदेश के समय पहाड़ और मैदान की सीमा रेखा को इसी से तय किया जाता था। यानी उस समय सड़क के उत्तरी भाग में काम करने वाले सरकारी मुलाजिमों को यूपी सरकार हिल एनाउंस दिया करती थी।
2001 में प्रमुख सचिव दिया था सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा
वर्ष 2001 में उत्तराखंड के प्रमुख वन सचिव मधुकर गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था कि यह सड़क फेयर वेदर रोड है इसे आल वैदर बनाया जा रहा है। यह वन्यजीव अधिनयम से पहले की रोड है लेकिन न्यायालय ने यह आदेश दे दिया कि नेशनल पार्क के बीच से सड़क नहीं जाएगी। वर्ष 2014 में पीसी जोशी ने हाइकोर्ट में निवेदन किया था कि उनकी पुरानी रिट को रिकाल किया जाए। जिसे मान लिया गया और न्यायालय ने सम्बन्धित सम्बन्धित विभाग और सरकार को आदेश दिया कि सड़क बनाने में कितना समय लगेगा, इसका हलफनामा दें। मगर पीसी जोशी ने अपनी रिट वापस ले ली।
हरक सिंह रावत व महाराज का ड्रीम प्रोजेक्ट
वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज कंडी मार्ग को बनाने का सपना काफी समय से देख रहे थे। यहां बस संचालन पर रोक लगने से इस मार्ग के खुलने के अरमानों पर पानी फिर गया था। असल में हर बार इस मार्ग पर अड़ंगा लगाने वाले लोग सक्रिय हो जाते थे। इस बार सरकार ने सभी जगहों पर मजबूती से पैरवी की और इसमें सफलता मिल गई।
रामनगर-कोटद्वार के बीच की दूरी घटेगी
कंडी मार्ग बनने से रामनगर-कोटद्वार की दूरी कम हो जाएगी। वर्तमान में वाया उत्तर प्रदेश होकर गुजरने से कोटद्वार की दूरी 162 किलोमीटर है, जबकि इस मार्ग के बन जाने से यह दूरी महज 88 किमी होगी। इसके अलावा कोटद्वार, हरिद्वार का रामनगर व हल्द्वानी के बीच व्यापार कि साथ पर्यटन गतिविधियां भी बढ़ेंगी। राजधानी आने जाने में भी कम समय लगेगा।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने 2017 में की थी कंडी मार्ग खोलने की घोषणा
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 20 मार्च 2017 को कंडी मार्ग खोलने की घोषणा की थी। इसके बाद 25 दिसंबर को वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कोटद्वार से रामनगर के लिए गढ़वाल मोटर ऑनर्स की बस सेवा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। लेकिन तब गौरव बंसल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बसों के संचालन पर रोक लगा दी थी।
विज्ञापन
Adblock test (Why?)
उत्तराखंड : सभी रुकावटें हुईं दूर, गढ़वाल-कुमाऊं को जोड़ने वाले बहुचर्चित कंडी मार्ग की मिली मंजूरी - अमर उजाला - Amar Ujala
Read More
No comments:
Post a Comment