Rechercher dans ce blog

Tuesday, July 27, 2021

84 Kos Parikrama Marg Ayodhya: क्या है 84 कोस परिक्रमा मार्ग जिसकी हो रही है इतनी चर्चा - Times Network Hindi

84 Kos Parikrama, Ayodhya, 84 Kos Parikrama Marg Now National Highway, NHAI, Yogi Adityanath

क्या है 84 कोस परिक्रमा मार्ग जिसकी हो रही है इतनी चर्चा&nbsp

मुख्य बातें

  • अयोध्या में तीन तरह की परिक्रमा पांच कोस, 14 कोस और 84 कोस की होती है।
  • 84 कोस की यात्रा को 84 लाख योनियों से मुक्ति का रास्ता तय करती है
  • 84 कोस परिक्रमा यात्रा पर राजनीति भी होती रही है।

केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते अयोध्या के चारों तरफ 84 कोस परिक्रमा मार्ग को नेशनल हाईवे घोषित करने का फैसला किया है। इस फैसले को यूपी विधानसभा चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है और कुछ राजनीतिक दलों को ऐतराज है कि इसके जरिए बीजेपी मध्य इलाके में अपने आपको और मजबूत करना चाहती है। 

भगवान राम से जुड़ी हैं तीनों परिक्रमा
अयोध्या में सभी तीन परिक्रमाएं - 5 कोस (15 किमी),14 कोस (42 किमी), और 84 कोस (करीब 252 किमी) परिक्रमाएं - भगवान राम से जुड़ी हुई हैं। वाल्मीकि रामायण के बाल कांड में उल्लेख है कि अयोध्या को पहले कोशलदेश के नाम से जाना जाता था, जो शुरू में 48 कोस में फैला था, और बाद में इसे 84 कोस तक बढ़ा दिया गया था। 84 कोस परिक्रमा कोशलदेश की परिक्रमा है जो अयोध्या से जुड़े सभी महत्वपूर्ण स्थानों को छूती है।14 कोस परिक्रमा उस समय के मुख्य अयोध्या शहर के लिए है, और 5 कोस परिक्रमा उस आंतरिक चक्र की परिक्रमा करती है जिसके भीतर राम के राज्य का केंद्र स्थित था।

त्रेता युग से शुरू हुई अयोध्या में परिक्रमा
हिंदू मान्यता के अनुसार 84 कोस परिक्रमा व्यक्ति को 84 लाख योनि के दायित्व से मुक्त करती है। हिंदुओं का मानना ​​है कि अयोध्या की परिक्रमा भगवान राम के युग त्रेता युग से शुरू हुई थी जो 1 लाख साल पहले हुई थी। ऐसा माना जाता है कि राजा दशरथ ने देवताओं से पुत्र प्राप्त करने के लिए अयोध्या से लगभग 20 किमी दूर मनोरमा नदी के तट पर पुत्रयष्ठी यज्ञ किया था। इसके बाद उन्हें अपनी तीन पत्नियों से चार पुत्रों का आशीर्वाद मिला। 84 कोस परिक्रमा  उस स्थान से शुरू हुई जहां यज्ञ किया गया था, जिसे अब बस्ती में मखौरा के रूप में पहचाना जाता है। यात्रा करीब 22 दिनों में पैदल ही पूरी की गई थी। इसमें करीब 25 पड़ाव के साथ  विश्राम के लिए कई स्थान हैं। दो छोटी परिक्रमा हर साल हजारों भक्तों द्वारा पूरी की जाती हैं। लेकिन 84 कोस परिक्रमा 100-150 से अधिक लोगों द्वारा नहीं की जाती है 

कार्तिक महीने में 84 कोस परिक्रमा

84 कोस परिक्रमा कार्तिक के हिंदू महीने में की जाती है। परिक्रमा करने वालों को दिन में केवल एक बार अनाज खाते हैं और बाकी समय फल खा सकते हैं। परिक्रमा पर तीर्थयात्रियों का पहला पड़ाव बस्ती के रामरेखा मंदिर में है। अगले दो पड़ाव बस्ती के दुबौलिया ब्लॉक के हनुमानबाग और अयोध्या में श्रृंग ऋषि आश्रम में हैं। परिक्रमा मार्ग पांच जिलों बस्ती, अयोध्या, अंबेडकर नगर, बाराबंकी और गोंडा के 100 से अधिक गांवों से होकर गुजरता है।

परिक्रमा के महत्वपूर्ण पड़ाव
परिक्रमा मार्ग के महत्वपूर्ण पड़ावों में महादेव घाट, भगनरामपुर सूर्यकुंड, सीताकुंड, जनमेजय कुंड, अमानीगंज, रुदौली, बेलखरा, टिकैत नगर, दुलारेबाग, पारसपुर, उत्तर भवानी, ताराबगंज और बीयर मंदिर हैं। मार्ग के अधिकांश स्थान रामायण की घटनाओं या पात्रों से जुड़े हुए हैं।

Adblock test (Why?)


84 Kos Parikrama Marg Ayodhya: क्या है 84 कोस परिक्रमा मार्ग जिसकी हो रही है इतनी चर्चा - Times Network Hindi
Read More

No comments:

Post a Comment

जोखिम भरा है सिढ़पुरा-सहावर मार्ग पर सफर करना - दैनिक जागरण

सिढ़पुरा, संवाद सूत्र : सिढ़पुरा-सहावर बाया मोहनपुर तक सड़क बदहाल हालत में है। इस मार्ग पर सफर करना जोखिम भरा है। वाहन चालकों को तो परेशानी ...