संवाद सूत्र, पुरैनी (मधेपुरा): शांति प्राप्त करने के लिए सदैव सत्य के मार्ग को अपनाना होगा। मनुष्य का तन बड़े भाग्य से मिलता है। ब्रह्मांड में स्थापित 84 लाख योनि में मनुष्य शरीर पाना जीव के लिए सुखद अहसास है।मनुष्य का तन बड़े भाग्य से मिलता है। इसके लिए देवी-देवता भी तरसते रहते हैं। मनुष्य को हमेशा शुद्ध आहार का सेवन करनी चाहिए। इससे अंत:करण शुद्ध होता है। अंत:करण की शुद्धि से प्राप्त निश्चल स्मृति संपूर्ण ग्रंथियों में समाहित होकर अज्ञानता का नाश करती है। उक्त अमृत वाणी आदर्श ग्राम तिरासी स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय के परिसर में आयोजित तीन दिवसीय रामचरितमानस एवं गीता ज्ञान में दूसरे दिन दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के स्वामी सुकमानंद ने प्रवचन के दौरान कही। उन्होंने कहा कि गुरु की शरण में जाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। भक्ति वह मार्ग है जिसमें संसार के सभी सुख समाहित हैं। संसार में दुख बढ़ने का एकमात्र कारण यह है कि मनुष्य भक्ति की मार्ग से विमुख होते जा रहे हैं। मनुष्य अगर भक्ति में तल्लीन रहे तो उन्हें किसी प्रकार के भय और चिता नहीं आएगी।साथ ही सारी बाधाओं से भी मुक्ति मिल जायेगी। साध्वी महामाया भारती ने कहा कि जिसकी निष्ठा भगवान की कथा सुनने में है। उसे जीवन के जन्म-मरण से मुक्ति मिलना तय है। व्यस्त जीवन शैली में लोगों को जब भी मौका मिले उसे भगवान के कथा का श्रवण करनी चाहिए। लोग जो भी चीज अर्जित करते हैं,वो सारी की सारी यहीं धरी रह जाती है। मनुष्य के किये गये सुकर्म और भगवान के भक्ति में बिताए समय ही उसके साथ जाता हैं। इसलिए मनुष्यों को आत्मिक शांति के लिए श्री राम कथा का श्रवण करना चाहिए। राम कथा के श्रवण से पापों से मुक्ति मिलती है।
Edited By: Jagran
शांति प्राप्त करने के लिए सत्य के मार्ग पर चलने की जरूरत - दैनिक जागरण
Read More
No comments:
Post a Comment