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इटावा। इटावा-बरेली राष्ट्रीय राजमार्ग-92 के निर्माण की राह में वन एवं पर्यावरण विभाग की एनओसी का अड़ंगा रोड़ा बना हुआ है। विश्व बैंक ने 772.80 करोड़ रुपये से इटावा एनएच-2 से फतेहगढ़ तक सड़क चौड़ीकरण, बाईपास तथा अन्य कार्यों के लिए स्वीकृत कर दिए हैं।
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निर्माण कार्य विश्व बैंक से जुड़ी पीआईयू अर्थात परियोजना कार्यान्वयन इकाई को सौंपा गया है। निर्माण एजेंसी का कार्यालय फतेहगढ़ में खोला गया है। छह महीने बीत गए, लेकिन एनएच-92 की इटावा चंबल पुल से कर्री पुलिया तक के हिस्से की एनओसी वन एवं पर्यावरण विभाग से नहीं मिल सकी है।
इटावा जिले की सीमा में एनएच के किनारे स्थित 1852 पेड़ काटने को लेकर संशय बना हुआ है। पुराने नियम के तहत पेड़ों को काटकर सड़क चौड़ी कर दी जाती थी। नए नियम में पेड़ों के काटने पर रोक लगा दी गई है।
अब पेड़ों को काटने के बजाय एक जगह से उखाड़कर दूसरी जगह शिफ्ट करना होगा। अब नया नियम लागू करने में तमाम तकनीकी दिक्कतें भी आ रहीं है। इसी फेर में एनओसी उलझी पड़ी है।
इटावा से कर्री पुलिया तक तो 1852 पेड़ आ रहे हैं। आगे का हिस्सा मैनपुरी जिले में आता है। वहां भी पेड़ों की गिनती की गई होगी। अब इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों को उखाड़कर दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए आवश्यक मशीनरी नहीं है।
इस पर इतना खर्च होगा इसका भी अनुमान अभी नहीं लगाया जा सका है। निर्माण एजेंसी के एस्टीमेट में यह खर्चा शामिल नहीं है। यदि पेड़ उखाड़ने की नौबत आती है तो एस्टीमेट रिवाइज कर फिर से स्वीकृत कराना होगा।
लागत भी बढ़ जाएगी। हाईवे दक्षिणी सीमा पर स्थित चेन्नई, महाराष्ट्र को उत्तरी सीमा पर नेपाल और चीन से जोड़ता है। ग्वालियर से इटावा, फतेहगढ़-फर्रुखाबाद, कटरा-बरेली के पास यह हाईवे दिल्ली-लखनऊ फोरलेन से जुड़ जाता है।
वहां से कई मार्ग जुड़ते हैं, इससे करीब 20 से 25 हजार भारी वाहन इस हाईवे पर रोजाना दौड़ रहे हैं। हाईवे के चौड़ीकरण के लिए प्रस्ताव करीब तीन साल पूर्व प्रेषित किए गए थे। जिस पर अब विश्व बैंक ने पीआईयू से निर्माण कार्य कराने की स्वीकृति प्रदान कर दी है
अब फोरलेन होगा यह मार्ग
एनएच-92 को फोरलेन बनाया जाएगा। अब सात की बजाय दस मीटर चौड़ी सड़क होगी। दोनों ओर दो-दो मीटर की कच्ची पटरी होगी। आबादी क्षेत्र में कच्ची पटरी के साथ डेढ़ से दो मीटर चौड़ी नाली का भी निर्माण कराया जाएगा।
पहले फेज में बेवर से कर्री पुलिया तक 30 किमी के लिए 236 करोड़ 47 लाख रुपये इसी के साथ बेबर से फतेहगढ़ तक 52.730 किमी की दूरी के लिए 325 करोड़ 24 लाख, जबकि दूसरे फेज में कर्री पुलिया से शहर में नई मंडी के पास आगरा-कानपुर हाईवे एनएच-2 फ्लाईओवर तक 57.346 किमी के लिए 211 करोड़ नौ लाख रुपये व्यय के लिए निर्धारित किए जाएंगे।
टोल भी चुकाना पड़ेगा
हाईवे का चौड़ीकरण होने के साथ ही लोहिया नहर पुल तथा चौबिया के मध्य किसी भी स्थान पर टोल प्लाजा बनाया जाएगा। यहां हल्के-भारी वाहनों से आवागमन करने वालों को निर्धारित टोल टैक्स चुकाना पड़ेगा।
सड़क पहुंच चुकी है जर्जर हालत में
एनएच-92 का चंबल पुल से कर्री पुलिया तक आने वाला मार्ग जर्जर हालत में है। उदी चौराह से यमुना पुल के बीच तो सड़क में इतने बड़े-बड़े गड्ढे हैं, जिनसे निकलना मुश्किल होता है।
आए दिन वहां दुर्घटनाएं हो रहीं हैं। एनएच की ओर से गड्ढों को भी नहीं भरा गया है। यही हाल इटावा से बसरेहर और आगे तक का है। निर्माण कार्य शुरू न होने से सड़क की हालत दिनों दिन खराब होती जा रही है।
शासन में लंबित है एनओसी
एनओसी देना राज्य और केंद्र सरकार का विषय है। यहां से सभी कागजात और सर्वे रिपोर्ट शासन के जरिये भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भेजी जा चुकी है। अभी एनओसी जारी नहीं हो सकी है। पेड़ों की शिफ्टिंग कैसे हो इस पर विचार किया जा रहा है।
- अतुल कांत शुक्ला, प्रभागीय निदेशक, सामाजिक वानिकी विभाग
निर्माण कार्य विश्व बैंक से जुड़ी पीआईयू अर्थात परियोजना कार्यान्वयन इकाई को सौंपा गया है। निर्माण एजेंसी का कार्यालय फतेहगढ़ में खोला गया है। छह महीने बीत गए, लेकिन एनएच-92 की इटावा चंबल पुल से कर्री पुलिया तक के हिस्से की एनओसी वन एवं पर्यावरण विभाग से नहीं मिल सकी है।
इटावा जिले की सीमा में एनएच के किनारे स्थित 1852 पेड़ काटने को लेकर संशय बना हुआ है। पुराने नियम के तहत पेड़ों को काटकर सड़क चौड़ी कर दी जाती थी। नए नियम में पेड़ों के काटने पर रोक लगा दी गई है।
अब पेड़ों को काटने के बजाय एक जगह से उखाड़कर दूसरी जगह शिफ्ट करना होगा। अब नया नियम लागू करने में तमाम तकनीकी दिक्कतें भी आ रहीं है। इसी फेर में एनओसी उलझी पड़ी है।
इटावा से कर्री पुलिया तक तो 1852 पेड़ आ रहे हैं। आगे का हिस्सा मैनपुरी जिले में आता है। वहां भी पेड़ों की गिनती की गई होगी। अब इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों को उखाड़कर दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए आवश्यक मशीनरी नहीं है।
इस पर इतना खर्च होगा इसका भी अनुमान अभी नहीं लगाया जा सका है। निर्माण एजेंसी के एस्टीमेट में यह खर्चा शामिल नहीं है। यदि पेड़ उखाड़ने की नौबत आती है तो एस्टीमेट रिवाइज कर फिर से स्वीकृत कराना होगा।
लागत भी बढ़ जाएगी। हाईवे दक्षिणी सीमा पर स्थित चेन्नई, महाराष्ट्र को उत्तरी सीमा पर नेपाल और चीन से जोड़ता है। ग्वालियर से इटावा, फतेहगढ़-फर्रुखाबाद, कटरा-बरेली के पास यह हाईवे दिल्ली-लखनऊ फोरलेन से जुड़ जाता है।
वहां से कई मार्ग जुड़ते हैं, इससे करीब 20 से 25 हजार भारी वाहन इस हाईवे पर रोजाना दौड़ रहे हैं। हाईवे के चौड़ीकरण के लिए प्रस्ताव करीब तीन साल पूर्व प्रेषित किए गए थे। जिस पर अब विश्व बैंक ने पीआईयू से निर्माण कार्य कराने की स्वीकृति प्रदान कर दी है
अब फोरलेन होगा यह मार्ग
एनएच-92 को फोरलेन बनाया जाएगा। अब सात की बजाय दस मीटर चौड़ी सड़क होगी। दोनों ओर दो-दो मीटर की कच्ची पटरी होगी। आबादी क्षेत्र में कच्ची पटरी के साथ डेढ़ से दो मीटर चौड़ी नाली का भी निर्माण कराया जाएगा।
पहले फेज में बेवर से कर्री पुलिया तक 30 किमी के लिए 236 करोड़ 47 लाख रुपये इसी के साथ बेबर से फतेहगढ़ तक 52.730 किमी की दूरी के लिए 325 करोड़ 24 लाख, जबकि दूसरे फेज में कर्री पुलिया से शहर में नई मंडी के पास आगरा-कानपुर हाईवे एनएच-2 फ्लाईओवर तक 57.346 किमी के लिए 211 करोड़ नौ लाख रुपये व्यय के लिए निर्धारित किए जाएंगे।
टोल भी चुकाना पड़ेगा
हाईवे का चौड़ीकरण होने के साथ ही लोहिया नहर पुल तथा चौबिया के मध्य किसी भी स्थान पर टोल प्लाजा बनाया जाएगा। यहां हल्के-भारी वाहनों से आवागमन करने वालों को निर्धारित टोल टैक्स चुकाना पड़ेगा।
सड़क पहुंच चुकी है जर्जर हालत में
एनएच-92 का चंबल पुल से कर्री पुलिया तक आने वाला मार्ग जर्जर हालत में है। उदी चौराह से यमुना पुल के बीच तो सड़क में इतने बड़े-बड़े गड्ढे हैं, जिनसे निकलना मुश्किल होता है।
आए दिन वहां दुर्घटनाएं हो रहीं हैं। एनएच की ओर से गड्ढों को भी नहीं भरा गया है। यही हाल इटावा से बसरेहर और आगे तक का है। निर्माण कार्य शुरू न होने से सड़क की हालत दिनों दिन खराब होती जा रही है।
शासन में लंबित है एनओसी
एनओसी देना राज्य और केंद्र सरकार का विषय है। यहां से सभी कागजात और सर्वे रिपोर्ट शासन के जरिये भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भेजी जा चुकी है। अभी एनओसी जारी नहीं हो सकी है। पेड़ों की शिफ्टिंग कैसे हो इस पर विचार किया जा रहा है।
- अतुल कांत शुक्ला, प्रभागीय निदेशक, सामाजिक वानिकी विभाग
मार्ग निर्माण में 1852 पेड़ बाधक - अमर उजाला
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