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Friday, August 27, 2021

आचार्यश्री सत्य के मार्ग और ध्यान साधना में रत रहे - Nai Dunia

Publish Date: | Fri, 27 Aug 2021 07:29 PM (IST)

राजगढ़ (नईदुनिया न्यूज)। दादा गुरुदेवश्री राजेंद्रसूरीश्वरजी की पाटपरंपरा के षष्ठम गच्छाधिपति आचार्यश्री हेमेंद्र सूरीश्वरजी का 11वां पुण्योत्सव गुणानुवाद सभा के रूप में शुक्रवार को राजेंद्र भवन में मनाया गया। इस कार्यक्रम को मुनिराजश्री पीयूषचंद्र विजयजी, वैराग्ययश विजयजी, साध्वीश्री तत्वदर्शना श्रीजी, मनीषरसा श्रीजी, हर्षवर्धना श्रीजी और विराग्ययश श्रीजी आदि ठाणा ने निश्रा प्रदान की।

मुनिश्री पीयूषचंद्रजी ने गुणानुवाद सभा में कहा कि आचार्यश्री हेमेंद्र सूरीश्वरजी हमेशा सत्य के मार्ग और अपनी ध्यान साधना में रत रहे। प्रतिक्रमण में हमेशा सूत्रों का स्पष्ट उच्चारण करवाने के पक्षधर थे। वे काफी सहज और सरल स्वभावी रहे।

शिष्य को मूर्छा से जागृत अवस्था में लाते हैं गुरु

मुनिराज श्री वैराग्ययशविजयजी ने कहा आचार्यश्री हेमेंद्रजी आज हमारे बीच में नहीं हैं, पर भक्तों के भावों से लगता है कि गुरुदेव आज भी हमारे बीच में हैं। वे सूक्ष्‌म चारित्र पालक थे। गुरु वो होते हैं, जो शिष्य की मुर्छा को भगाकर उसे जागृत अवस्था में ले आए।

नगर-नगर, डगर-डगर फैलाया ज्ञान का प्रकाश

साध्वीश्री तत्वदर्शना श्रीजी ने कहा आचार्यश्री का जन्म राजस्थान के बागरा नगर में हुआ। दृढ़ वैराग्य के कारण 1991 में उन्होंने प्रवज्या अंगीकार की। उनकी बाल्यावस्था में ही गुरु चरणों में समर्पित होने की भावना थी। विनयवान होने के कारण अपने गुरु के काफी नजदीक रहे और गच्छाधिपति पद तक पहुंचे। साध्वीश्री मनीषरसा श्रीजी ने कहा गुरु का सान्निाध्य ही आत्मा का कल्याण करना है। साध्वीश्री विरागयशा श्रीजी ने कहा उनका जीवन अपने आप में अमुल्य था। गुरु दीपक का कार्य करते हैं। उन्होंने नगर-नगर, डगर-डगर ज्ञान का प्रकाश फैलाया।

हुई सजावट, उतारी आरती

बाबूलाल मामा, अनिल खजांची, संतोष चत्तर, संतोष लोढा आदि ने गुरु को भावांजलि अर्पित करते हुए अपने जीवन के संस्मरण सुनाए। श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ पर आचार्यश्री हेमेंद्रसूरीश्वरजी के समाधि मंदिर पर पुष्प से सजावट की गई। भक्तों ने पूजा-अर्चना के साथ गुरुदेव की आरती उतारी।

Posted By: Nai Dunia News Network

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