अलीगढ़, जागरण संवाददाता। भले ही प्रदेश में तमाम योजनाओं का लोकार्पण हो रहा हो, मगर अलीगढ़-मथुरा मार्ग के फोरलेन के प्रस्ताव पर साढ़े चार साल से मोहर नहीं लग सकी। तीर्थनगरी को जाने वाला यह मार्ग मात्र सात मीटर चौड़ा है, जबकि वाहनों का इसपर जबदस्त भार है। इस मार्ग से 24 घंटे वाहन निकलते रहते हैं। बड़ी संख्या में तीर्थ यात्री भी इसी मार्ग से मथुरा जाया करते हैं। शहर से निकलते ही सड़क भी जर्जर स्थिति में है, जिससे वाहनों की रफ्तार भी बहुत धीमी रहती है।
शहर के बाहर सभी सड़कें फोरलेन हैं
शहर के बाहरी ओर निकलने वाले तकरीबन सभी मार्ग फोरलेन हैं। रामघाट-कल्याण मार्ग के भी फोरलेन के निर्माण पर मोहर लग गई है। मगर, अलीगढ़-मथुरा मार्ग के फोरलेन को लेकर साढ़े चार साल से हरी झंडी नहीं मिल पाई है। यह मार्ग सासनीगेट से राया होते हुए मथुरा जाता है। करीब 50 किमी लंबे इस मार्ग के फोरलेन के निर्माण की मांग आठ वर्षों से चल रही है। पिछली सपा सरकार में भी इसके चौड़ीकरण के लिए लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने शासन को प्रस्ताव बनाकर भेजा था। मगर, प्रस्ताव ठंडे बस्ते में ही रह गया। 2017 में योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने तो उम्मीद जगी थी कि मार्ग के फोरलेन के निर्माण को अनुमति मिल जाएगी। चूंकि यह मार्ग सीधे मथुरा को जोड़ता है, इसलिए सीएम इसपर अनुमति देने में हिचकिचाएंगे नहीं। पीडब्ल्यूडी ने योगी सरकार में भी तीन बार प्रस्ताव बनाकर भेजा, मगर अभी तक अनुमति नहीं मिल पाई है। चुनाव एकदम निकट है, ऐसे में जनवरी में आचार संहिता लगने की उम्मीद है। फिर प्रस्ताव लंबे समय के लिए लटक जाएगा।
जर्जर है मार्ग, लगता है जाम
अलीगढ़-मथुरा मार्ग पर एटूजेट प्लांट के सामने सड़क जर्जर स्थिति में है। आगे एक किमी तक सड़क पर गड्ढे बने हुए हैं। इससे राहगीरों को काफी परेशानी होती है। साथ ही इगलास और राया में जबरदस्त जाम लगता है। इन दोनों स्थानों पर लोग घंटों जाम में फंसे रहते हैं। मार्ग की चौड़ाई मात्र सात मीटर है, इसके चलते वाहनों की लंबी कतार लग जाती है। मार्ग पर गड्ढे और जाम के चलते अब तमाम लोग हाथरस होकर मथुरा जाने लगे हैं। हालांकि, इससे उन्हें करीब 25 किमी अधिक दूरी तय करनी पड़ती है।
400 करोड़ की लागत से बनेगा फोरलेन
अलीगढ़-मथुरा मार्ग के फोरलेन का निर्माण करीब 400 करोड़ रुपये में होगा। 50 किमी लंबा यह मार्ग है। फोरलेन होने मार्ग के एक ओर चौड़ाई 8.75 मीटर हो जाएगी, जबकि दोनों ओर कुल 17.50 मीटर होगी। डिवाइडर करीब एक मीटर चौड़ा होगा। डिवाइडर के बीच में पौधे लगाए जाएंगे, जिससे हरियाली बनी रहे। दोनों आेर पटरी को भी ठीक किया जाएगा।
पब्लिक पीड़ा
उम्र बीत गई मगर अलीगढ़-मथुरा मार्ग चौड़ीकरण नहीं हुआ। इस मार्ग से मथुरा जाने पर गड्ढों से पाला तो पड़ता है जाम भी झेलना पड़ता है। योगी सरकार में उम्मीद थी कि यह फोरलेन बन जाएगा, मगर नाउम्मीदी हाथ लगी।
विजय सिंह
अलीगढ़-मथुरा मार्ग की स्थिति इस समय गांव की सड़क की तरह है। सड़क जर्जर है। दोनों ओर पटरियां क्षतिग्रस्त हैं। ऐसे में वाहनों से दिनभर धूल उड़ा करता है। घरों में धूल की मोटी परत बैठ जाती है।
दीपा राजपूत
धार्मिक दृष्टि से तो इस मार्ग का महत्व है ही व्यापारिक दृष्टि से भी यह बहुत जरूरी है। यदि यह फोरलेन हो जाता तो अलीगढ़ के व्यापारियों को मथुरा जाने में सुविधा होती। तमाम काम के लिए मथुरा और वृंदावन जाना पड़ता है।
शिशुपाल
सड़क की खस्ताहाल स्थिति होने से छात्रों को भी काफी दिक्कत होती है। क्योंकि अलीगढ़-मथुरा मार्ग पर कई बड़े कालेज हैं। सैकड़ों विद्यार्थी इस मार्ग से होकर निकलते हैं। उन्हें गड्ढों और जाम से जूझना पड़ता है।
मोहम्मद सुहेब
इनका कहना है
अलीगढ़-मथुरा मार्ग के फोरलेन का प्रस्ताव बनाकर कई बार भेजा जा चुका है। प्रस्ताव में यह भी दिया गया है कि यह मार्ग तीर्थनगरी मथुरा को जोड़ता है, मगर अभी तक शासन से अनुमति नहीं मिली है। अनुमति मिलते ही कार्य शुरू करा दिया जाएगा।
संजीव पुष्कर, अधिशासी अभियंता पीडब्ल्यूडी
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वर्षों से भार झेल रही सड़क के लिए चार साल से अटका है फोरलेन का प्रस्ताव, जानिए मामला - दैनिक जागरण
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